
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले राजनीतिक तापमान जून की दोपहर जैसा चढ़ चुका है। एक तरफ SIR को लेकर हंगामा है, तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने एक गंभीर दावा कर डाला –
“मेरे बेटे तेजस्वी यादव की जान को खतरा है!”
उन्होंने कहा कि बीते दिनों तीन-चार बार तेजस्वी पर जानलेवा हमले की कोशिश हुई है और इसके पीछे JDU-BJP की साजिश है।
‘तेजस्वी को मारने की साजिश’ – विपक्ष का नया नैरेटिव?
राबड़ी देवी ने विधानसभा में सीधे कहा:
“हम जानते हैं कौन लोग इसके पीछे हैं… सत्ता पक्ष के लोग नाली के कीड़े हैं!”
अब इस बयान में अगर सटायर की गंध आ रही हो, तो ये महज इत्तेफाक नहीं। “नाली के कीड़े” जैसे शब्द राजनीति में कब से गालियों की जगह ह्यूमर का सामान बनने लगे, ये भी विश्लेषणीय है।
विपक्ष का ‘ब्लैक ड्रेस’ मूवमेंट – काले कपड़ों में छिपी नाराजगी या ब्रांडिंग?
विधानसभा के बाहर और अंदर विपक्ष का प्रदर्शन लगातार जारी है। इस बार राबड़ी देवी खुद ‘पोर्टिको प्रोटेस्ट’ में मोर्चा संभालते दिखीं।
काले कपड़े पहनकर विपक्ष ने जैसे संदेश दिया – “काला कानून, काला विरोध!”
सत्तापक्ष का जवाब?
“काले कपड़े पहनने से मुद्दा सफेद नहीं हो जाएगा।”
SIR के बहाने वोटर लिस्ट पर हमला, EC पर भी सवाल
राबड़ी देवी ने कहा –
“बिहार से बाहर कमाने गए लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे जा रहे हैं। यह सुनियोजित साजिश है।”
वो चुनाव आयोग पर सीधे आरोप लगाकर कहती हैं –
“SIR एक ‘सिस्टमेटिक इरेजर रजिस्टर’ बन गया है।”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी – मौन भी अब राजनीतिक बयान है!
राबड़ी देवी का तंज भरा सवाल –

“जब देशभर में चुनाव आयोग पर सवाल उठ रहे हैं, तो मुख्यमंत्री क्यों चुप हैं?”
इधर नीतीश कुमार ने सिर्फ इतना कहा –
“काला कपड़ा पहनकर आते हो… क्या राजनीति का फैशन शो है?”
उनकी चुप्पी अब धीरे-धीरे न्यायपालिका जैसी गंभीर लगने लगी है, बस फर्क इतना है कि यहां फैसले नहीं, सियासी शांति है।
सियासत या सहानुभूति कार्ड?
तेजस्वी यादव पर खतरे की बात सामने लाकर विपक्ष एक नई भावनात्मक लहर बना रहा है। हो सकता है यह जनता के बीच sympathy wave बनाने का तरीका हो। या फिर सत्ता पक्ष के लिए “अगर हम पर कुछ हुआ तो…” जैसे सुरक्षात्मक कवच की तैयारी।
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तेजस्वी यादव पर खतरे की बात सियासत को और भावुक बनाने की कोशिश लगती है।
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SIR, वोटर लिस्ट और विधानसभा में काले कपड़े – सब एक समांतर चुनावी नैरेटिव गढ़ने का हिस्सा हैं।
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नीतीश कुमार की चुप्पी एक जानबूझकर रची गई रणनीति हो सकती है – “बोलो मत, झेलने दो।”
बिहार की राजनीति फिलहाल एक Daily Soap से कम नहीं। जहां हर दिन एक नया ट्विस्ट, और जनता हर एपिसोड में असली मुद्दे मिस कर देती है।
बिहार विधानमंडल आखिरी दिन भी विपक्ष का हंगामा, राबड़ी देवी का सत्तापक्ष पर लगाया आरोप तेजस्वी को मारने की जा रही है कोशिश pic.twitter.com/6wVys1B82I
— Pooja Mishra (@PoojaMishr73204) July 25, 2025
